मध्य प्रदेश: स्मार्ट मीटर लगाने का अभियान टला, राज्य विद्युत नियामक आयोग ने 31 मार्च 2028 तक दी छूट

भोपाल, 4 अक्टूबर 2025 – मध्य प्रदेश में हर घर में स्मार्ट मीटर लगाने का युद्ध स्तर पर चल रहा अभियान अब रुक गया है। राज्य विद्युत नियामक आयोग (एमपीईआरसी) ने स्मार्ट मीटर की अनिवार्यता को 31 मार्च 2028 तक टाल दिया है। तकनीकी खामियों और उपभोक्ताओं के लगातार बढ़ते विरोध के चलते यह फैसला लिया गया है। इससे शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लाखों उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है।
आयोग ने मध्य और पश्चिम विद्युत वितरण कंपनियों की मांग पर सामान्य मीटर लगाने की अनुमति भी दे दी है। कंपनियों का तर्क था कि स्मार्ट मीटर केवल बिजली खपत मापने का उपकरण नहीं, बल्कि एक जटिल विद्युत प्रणाली है, जिसकी स्थापना में कई चुनौतियां हैं। इस फैसले से बिजली बिलों में अचानक बढ़ोतरी जैसी शिकायतों पर विराम लग सकता है।
विरोध की लहर बनी फैसले का आधार
प्रदेशभर में स्मार्ट मीटर के खिलाफ विरोध की लहर तेज हो रही थी। भोपाल समेत इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहरों में उपभोक्ताओं ने प्रदर्शन किए, यहां तक कि कई जगहों पर मीटर जलाकर आगजनी तक की घटनाएं हुईं। उपभोक्ताओं का कहना था कि उनकी बिजली खपत वही रहने के बावजूद बिलों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। तकनीकी खराबियां जैसे गलत रीडिंग और कनेक्टिविटी समस्याएं भी सामने आईं।
बिजली कंपनियों पर आरोप लगे कि वे उपभोक्ताओं की शंकाओं का समाधान करने के बजाय जबरन स्मार्ट मीटर थोप रही हैं। आयोग ने इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए समयसीमा बढ़ाने का आदेश दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम उपभोक्ता संरक्षण के लिहाज से सकारात्मक है, लेकिन स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता पर निगरानी बढ़ाने की जरूरत है।
पहले से लगे स्मार्ट मीटरों का क्या होगा?
फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है – जो घरों में सामान्य मीटर हटाकर स्मार्ट मीटर पहले ही लग चुके हैं, उन्हें वापस बदला जाएगा या नहीं? बिजली कंपनियों की ओर से अभी इस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। यदि उपभोक्ता शिकायत करते हैं, तो संभवतः पुराने मीटर बहाल करने का विकल्प दिया जा सकता है। आयोग ने कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वे पारदर्शी तरीके से प्रक्रिया चलाएं और उपभोक्ताओं को सूचित करें।
मध्य प्रदेश सरकार की ‘हर घर बिजली योजना’ के तहत स्मार्ट मीटर को पारदर्शिता बढ़ाने और चोरी रोकने के लिए शुरू किया गया था, लेकिन व्यावहारिक चुनौतियों ने इसे पटरी से उतार दिया। अब कंपनियों को 2028 तक वैकल्पिक व्यवस्था मजबूत करने का समय मिल गया है।
उपभोक्ता संगठनों ने फैसले का स्वागत किया है। प्रदेश उपभोक्ता संगठन के अध्यक्ष ने कहा, “यह उपभोक्ताओं की जीत है। स्मार्ट मीटर की स्थापना में गुणवत्ता सुनिश्चित होनी चाहिए, न कि जबरदस्ती।